पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए जलाएं कंडो की होली
By:Kabal Singh हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर। कंडों यानि उपलों की होली दहन को धार्मिक और विज्ञानिक दृष्टि से अच्छा माना गया है। जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है, और वायुमंडल में प्रदूषित वायु भी नष्ट होती है। कंडों की होली जलाने से लकड़ियों का उपयोग भी नहीं होगा और जो पेड़ होली में जलाने के लिए काट दिए जाते हैं वो भी बच जाएंगे। शहर से लेकर गाँवो में सैकड़ो स्थानों पर होलिका दहन किया जाता है। पिछले कुछ सालों से लोगों ने कंडों की होली जलाना शुरू कर दिया है। जो हर साल कंडों की होली जला रहे है। इससे लकड़ियां भी जलने से बच जाती हैं। कंडों से होलिका दहन करने के लिए अपील की जा रही है।
प्राकृतिक प्राणवायु होती हैं तैयार: शरद शर्मा
कुलपुर गौशाला के प्रबंधक शरद शर्मा ने बताया कि अकृत्रिम कंडे पर गाय के घी के साथ चावल मिश्रण करके हवन करने पर आक्सीजन ‘प्राकृतिक प्राणवायु’ तैयार होती है जो समस्त प्राणियों को जीवनी शक्ति प्रदान करती है। यह विज्ञान के शोध के आधार पर सिद्ध किया जा चुका है। गाय के गोबर के कंडों पर होली जलाने से वायु मण्डल में जो प्रदूषित वायु होती है वह नष्ट हो जाती है। इसलिए धार्मिक मान्यता के अनुसार होली जलाने के पूर्व पूजा का विधान जुड़ा हुआ है। जैसे हवन के लिए वनस्पतियों का चूरण मिश्रण कर अग्नि में छोड़ा जाता है उसके पीछे एक निहित उद्देश्य होता है। गोबर के कंडों का उपयोग होली में करने के हमारे आग्रह के पीछे यही तर्क होता है कि-हम जंगलों को कटने से बचाएं। जंगल हमारे प्राकृतिक फेफड़े हैं, जब हम फेफड़े ही नष्ट कर देंगे तब हमारे श्वसन तंत्र कैसे बचेंगे? बल्कि श्वसन तंत्र चाहे वह प्रकृति के हों या मानव के या जीव मात्र के उनकी मजबूती के लिए युगानूकूल, समसामयिक, नवाचार करना जरूरी है। धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पर्याय हैं। धर्म के दायरे में अंतरंगता और भौतिक विज्ञान की परिधि में बहिरंगता है। अतः होली कंडों की ही होनी चाहिए। पर्यावरण संरक्षण सृष्टि के पंचतत्वों का संतुलन इनका धार्मिक और विज्ञानिक रीति से चिंतन पूर्वक ‘गाय के गोबर’ से होली जलाने का आग्रह है।
ध्यान फाऊंडेशन परिवार कराता है नैनो यज्ञ
ध्यान फाऊंडेशन परिवार हर साल नैनो यज्ञ कराता हैं। जिससे प्राकृतिक प्राणवायु तैयार होती है। वैज्ञानिकों द्वारा की गई रिसर्च बताती है, कि गाय का गोबर जब गीला होता है तो उसमें 21 से 22 प्रतिशत आक्सीजन होती है। नैनो यज्ञ से जुड़े प्रकाश मूरजानी बताते हैं कि जब गोबर सूख जाता है तो उसमें आक्सीजन का प्रतिशत 28 हो जाता है।जब कंडे के रूप में गोबर जलाया जाता है। तो आक्सीजन का स्तर 48 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यदि गाय के गोबर के कंडे में गाय का शुद्ध घी मिलाकर जलाते हैं तो आक्सीजन का स्तर 61 प्रतिशत तक हो जाता है।