गंगा में उफान आने से आबादी क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं तेंदुए
हापुड़। गंगा के उफान से जलभराव होने के कारण संरक्षित क्षेत्र से पलायन कर तेंदुओं के कृषि क्षेत्र में आने से वारदात होने पर किसानों के साथ ही जंगल में कामकाज करने वालों में भारी दहशत बनी हुई है, क्योंकि बिजनौर समेत आसपास के जनपदों में तेंदुए कई जान तक ले चुके हैं। अंधाधुंध शहरीकरण और तेजी से जंगल सिमटने के कारण जंगली जानवरों के जीवन पर तेजी से संकट गहराता जा रहा है। इसके अलावा भी बरसात के इस सीजन में उफान बढने से गंगा नदी ने कई बार यलो अलर्ट के साथ ही खतरे वाले निशान को भी लांघ दिया था। जिसके कारण संरक्षित क्षेत्र पानी से लबालब होने पर तेंदुओं समेत अधिकांश जंगली जानवरों को पलायन के लिए विवश होना पड़ा है। जो घने एवं आरक्षित जंगलों से बाहर निकलकर कृषि क्षेत्र के साथ ही आबादी से जुड़ीं बस्तियों की तरफ रुख कर रहे हैं। गंगा के उफान से जलभराव होने के कारण तेंदुओं का कृषि क्षेत्र में पलायन होने से इंसानी जिंदगी के साथ ही खुद तेंदुओं की जिंदगी को भी खतरा उत्पन्न होना बेहद गंभीर सोचनीय विषय बन गया है। गंगा के उफान से जलभराव होने से महज कुछ दिन पहले ही गांव प्रसादीपुर की वन भूमि में भीषण आग लगने की घटना भी हुई थी, जिससे तेंदुओं समेत जंगली जानवरों को उस समय भी वन से पलायन कर कृषि क्षेत्र में शरण लेना मजबूरी हो गई थी। गंगा के उफान से जलभराव, आरक्षित जंगल में आग लगने की घटना, दूरदराज के इलाके में निर्माण कार्य और हरे भरे पेड़ों के अंधाधुंध कटान से भटककर तेंदुए कृषि क्षेत्र समेत आबादी से सटे जंगल में घुसने को मजबूर हो रहे हैं। वन विभाग कड़ी मशक्कत के बाद तेंदुओं को पकड़कर वापस जंगल में छुड़वा चुका है। इसके अलावा भी सड़क पार करने के दौरान तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आने से तेंदुओं की मौत होने की घटना अक्सर सामने आती रहती हैं। क्षेत्र में पानी भरने के कारण तेंदुए अब शहर की तरफ आबादी में आ रहे है।