Blogआस्थाउत्तर प्रदेशएक्सक्लूसिव खबरेंहापुड़

गंगा मेला: टैक्सों के रूप में लाखों का राजस्व, जन सुविधाओं के नाम पर महज औपचारिकता

By:Robin Sharma

हापुड़। गढ़मुक्तेश्वर में बाहरी राज्यों के व्यापारी देश के सबसे बड़े अश्वीय मेले में पशुओं की खरीद फरोख्त करने में जुटे हुए हैं, परंतु जन सुविधाओं के नाम पर महज औपचारिकता होने से उन्हें भारी दिक्कत झेलने को मजबूर होनी पड़ रहा हैं। मिनी कुंभ खादर मेले के पास भर रहे देश के सबसे बड़े अश्वीय प्रजाति के मेले में प्रदेश समेत आसपास के राज्यों से बड़ी संख्या में पशु पालक और व्यापारियों ने पड़ाव डाला हुआ है, जिसके चलते शनिवार को मेले में पहली मंडी का आयोजन हुआ। जिसमें हजारों की संख्या में घोड़े, गधे और खच्चरों की खरीद फरोख्त हुई।

पशु चिकित्सा और सामाजिक संगठन ब्रूक हॉस्पिटल ऑफ इंडिया के तत्वाधान में चलाए जा रहे कैंप में बीमार के साथ ही लोडिंग अनलोडिंग के दौरान चोटिल होने वाले पशुओं का उपचार किया जा रहा है, जबकि प्रभात फेरी के साथ ही नुक्कड़ नाटक और कठपुतली शो के माध्यम से लोगों को पशुओं के साथ हमदर्दी और बेहतर ढंग में देखभाल करने को लेकर जागरुक भी किया जा रहा है।

प्रजापति महासभा के राष्ट्रीय सचिव डॉ. रमेश प्रजापति, बोबी प्रजापति, हरपाल सिंह, नैनसिंह, जयपाल सिंह, प्रकाश चंद का कहना है कि दो साल कोरोना और पिछले साल लंपी के कारण इस मेले का आयोजन नहीं हो पाया था, जिसके कारण इस बार बड़ी संख्या में पशु पालक और व्यापारियों का आगमन हुआ है। परंतु विभिन्न टैक्सों के रूप में लाखों का राजस्व देने वाले इस मेले में जन सुविधाओं के नाम पर महज औपचारिकता पूरी की गई है, जिससे पशु पालक और व्यापारियों को भारी दिक्कत झेलनी पड़ रही हैं। जिला पंचायत की अपर मुख्य अधिकारी आरती मिश्रा का कहना है कि पेयजल और पथप्रकाश समेत सभी जन सुविधाओं को चाक चौबंद कराया जा रहा है।

Related Articles

Back to top button