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गंगा में उफान बढने से खादर में फिर से मची खलबली, फसलों में पानी भरने का सता रहा डर

By:Robin Sharma

हापुड़। तीन दिनों की राहत के बाद एक बार फिर से गंगा में उफान बढने पर खादर क्षेत्र में खलबली मच गई है। अड़तालीस घंटों के भीतर जलस्तर में चालीस सेंटीमीटर की बढ़ोतरी होने के साथ ही बिजनौर बैराज से छोड़ा गया हजारों क्यूसिक पानी आने से गंगा का उफान और अधिक बढने का डर सता रहा है। लगातार पांचवें दिन भी दिल्ली एनसीआर समेत वेस्टर्न यूपी के मैदानी क्षेत्र में मानसूनी बारिश का क्रम काफी ठंडा रहा। परंतु दूसरी ओर उत्तराखंड के पहाड़ों में दूर दूर तक झमाझम बारिश होने के कारण गंगा नदी में एक बार फिर से उफान बढने लगा है। बुधवार की देर शाम तक अड़तालीस घंटों के भीतर जलस्तर में करीब सौ सेंटीमीटर की गिरावट होने से खादर वासियों में व्याप्त बाढ़ आने की आशंका काफी हद तक दूर हो गई थी। आम जनजीवन भी काफी हद तक फिर से पटरी पर वापस लौट आया था। क्योंकि टिहरी बांध में पानी बढने पर बिजनौर बैराज से पानी छोडने का सिलसिला भी काफी धीमा पड़ गया था। परंतु चार दिन बाद ही खादर वासियों को मिली यह राहत फिर से रफूचक्कर हो गई है, क्योंकि पहाड़ों में झमाझम बारिश होने से गंगा के जलस्तर में अड़तालीस घंटों के भीतर चालीस सेंटीमीटर का इजाफा हुआ है। इसके अलावा भी सिंचाई विभाग द्वारा बिजनौर बैराज से गुरुवार के बाद शुक्रवार की दोपहर में करीब तीस हजार क्यूसिक पानी छोड़ा गया है, जिसके आज सुबह को गढ़ ब्रजघाट क्षेत्र में आने से गंगा के जलस्तर में और भी बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह सोलंकी, प्रधान प्रेमसिंह, टीकम सिंह, सुशील राणा, निरंजन राणा, पूर्व प्रधान बबलू राणा का कहना है कि गंगा के जलस्तर में फिर से बढ़ोतरी होने के साथ ही बिजनौर बैराज से पानी छोड़े जाने पर खादर क्षेत्र में बेचैनी बढ़ती जा रही है। चार दिनों के भीतर जलस्तर में गिरावट और गंगा का उफान थमने से जो राहत मिली थी, वह गंगा में दोबारा उफान बढने और जलस्तर में बढ़ोतरी होने पर फिर से गायब हो चुकी है। गंगा का उफान उतरने और जलस्तर में तेजी से गिरावट होने के बाद भी खादर क्षेत्र के ग्रामीणों की समस्या पहली ही दूर नहीं हो पा रही थीं, क्योंकि हजारों बीघा जंगल में भरा हुआ पानी बाहर निकल पाना संभव न होने से फसलों में काफी बर्बादी हो रही है। जिससे छोटी जोत की खेती के साथ ही पशु पालन के सहारे जिंदगी बिताने वाले छोटी जोत के गरीब किसानों के सामने पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था कर पाना बड़ी चुनौैती साबित हो रही है। गंगा के उफान से खेतों में पानी भरने के कारण प्राकृतिक घास की व्यवस्था भी संभव नहीं हो पा रही है, क्योंकि गंगा के पानी के साथ मिट्टी की परत घास और चारे की फसल पर जमने से पशु उसे खा नहीं पा रहे हैं।केंद्रीय जल शक्ति विभाग के गेज अधिकारी आबाद आलम ने बताया कि भले ही मैदानी क्षेत्र में बारिश का सिलसिला ठंडा चल रहा है, परंतु उत्तराखंड के पहाड़ों पर मानसूनी बारिश का क्रम फिर से तेज हो गया है। चार दिनों तक गंगा का उफान तेजी से घटने के साथ ही जलस्तर में अड़तालीस घंटों के भीतर करीब सौ सेंटीमीटर की गिरावट आई थी। परंतु बुधवार की देर शाम से लेकर शुक्रवार की देर शाम तक अड़तालीस घंटों के भीतर जलस्तर में चालीस सेंटीमीटर की बढ़ोतरी होने से गंगा में उफान भी बढ़ रहा है। शुक्रवार की देर शाम को गढ़ ब्रजघाट गंगा का जलस्तर 197.90 मीटर से बढकर समुद्रतल से 197.90 मीटर के निशान पर पहुंच चुका है।

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