किसान के लिए एक साल में छह बार गेहूं की फसल को उगाया जाना होगा संभव
जर्मनी के म्यूनिख शहर में तैयार हुआ है जादुई गेहूं का बीज
टेक्नोलॉजी। जर्मनी में तैयार हुए गेहूं के जादुई बीज से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान मालामाल होने के साथ ही सिंचाई में बर्बाद होने वाले पानी पर भी अंकुश लगेगा। जिससे तेजी से गिर रहे भूजल स्तर में भी बड़े स्तर पर रोक लग पानी संभव हो सकेगी। अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं है जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जुड़े हापुड़ जनपद के किसान एक एकड़ में सौ कुंतल गेहूं तक का उत्पादन ले सकेंगे। भारत में गेहूं एक ऐसा अनाज है, जो ब्रेड और रोटी से लेकर बिस्कुट, मैदा आदि में भी काम आता है। इसीलिए समूचा विश्व गेहूं के ज्यादा से ज्यादा उत्पादन पर जोर दे रहा है। कृषि विभाग के वरिष्ठ प्राविधिक सहायक सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि यूक्रेन युद्ध के शुरुआती दिनों में जब गेहूं का निर्यात रुक गया था, तब विश्वभर में खाद्यान्न संकट पैदा होने से खाने के सामान की बड़ी किल्लत होने लगी थी। अफ्रीका ही नहीं, यूरोपीय देशों में भी ब्रेड मिलना मुश्किल हो गया था। उन्होंने बताया कि भारत में गेहूं साल में एक बार बोया जाता है, जिसकी फसल चार महीने में तैयार होती है। परंतु अब जर्मनी के साइंटिस्ट ने गेहूं की एक ऐसी किस्म उगा रहे हैं, जिसे साल में छह बार काट सकेंगे। इस बीज से बंपर पैदावार होने के साथ ही खास बात पानी बहुत कम मात्रा में खपत होता है।
अधिक तापमान भी पैदावार के लिए होगा मुफीद साबित
सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि जादुई बीज की एक खासियत यह भी है कि रोशनी जितनी ज्यादा होती है उतनी ही ज्यादा पैदावार मिलती है। उत्तर भारत के राज्यों के लिए तो यह वरदान साबित होगा, क्योंकि यहां तापमान गर्मी में काफी ज्यादा रहता है।
साल में छह बार फसल उगाया जाना संभव
सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि जादुई बीज वाली फसल महज दस ढाई महीने से पहले पककर तैयार हो जाएगी। जिसके कारण साल में छह बार फसल उगाया जाना संभव हो जाएगा।
बीस कुंतल के मुकाबले एक एकड़ में सौ कुंतल गेहूं का होगा उत्पादन
सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक एकड़ भूमि में औसतन बीस कुंतल गेहूं का उत्पादन होता है, परंतु जर्मनी से जुड़े बीज वाली खेती प्रारंभ होने पर यह उत्पादन बढक़र सौ कुंतल तक हो जाएगा।
अगले साल भारत में जादुई गेहूं की खेती प्रारंभ होने का अनुमान
सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि फिलहाल भारत में इस बीज वाले गेहूं की खेती प्रारंभ नहीं हो पाई है, परंतु आगामी सीजन के दौरान देश के कुछ चुनिंदा स्थानों पर इसकी खेती चालू होने की तैयारी चल रही है। उन्होंने बताया कि गढ़ ब्लॉक जैसे डार्क जोन वाले क्षेत्र में भी गेहूं की फसल के लिए पानी की कमी कोई समस्या नहीं रहेगी और साथ ही तेजी से गिर रहे भूजल स्तर में सुधार संभव हो जाएगा।