नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में गोवर्धन महाराज की पूजा की गई
नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में गोवर्धन महाराज की पूजा की गई
गढ़मुक्तेश्वर, हापुड़। मंगलवार को नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में गोवर्धन महाराज की पूजा की गई। लोगों ने विधि विधान पूजन कर परिवार में मंगलकामना की। इस दौरान महिलाओं ने विभिन्न प्रकार के मंगल गीत गाए। गोवर्धन का पर्व नगर सहित समूचे क्षेत्र में परंपरागत ढंग में मनाया गया। क्षेत्र में लोगों ने गोवर्धन पर्वत की पूजाअर्चना कर पशु पालकों ने मवेशियों को नई झूल धारण करा कर उन्हें कहेड़ी सुनाने की परंपरा का निर्वहन किया। भक्तों ने अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी वैदिक रीति रिवाज से पूजा अर्चना की।
इस दौरान मीठी पूरी, पकवान, गन्ना, सिंघाड़ा, शकरकंद, आमपात्र, चांदी से बनी स्याव, दूध बेलनी जैसी सामग्री रखकर पूजा अर्चना की गई। पशु पालकों ने अपने मवेशियों को झूल समेत नए रस्से धारण कराए और ग्वालों को घर बुलाकर उनसे मवेशियों को परंपरागत कहेड़ी सुनवाने की रस्म भी अदा कराई। महिलाओं ने गोवर्धन पर्वत की गाथा और भगवान श्रीकृष्ण की महिमा से जुड़े गीत गाकर त्योहार मनाया।
पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि अपनी पूजा अर्चना बंद होने से क्रुध होकर भगवान इंद्र ने ब्रजवासियों को दंड देने के उद्देश्य से घनघोर वर्षा कर दी थी, जिससे त्राहि-त्राहि मचने पर सभी नर-नारी और पशु-पक्षी भगवान श्रीकृष्ण की शरण में पहुंच गए थे। जिस पर भगवान श्रीकृष्ण ने घनघोर वर्षा से रक्षा करने को अपनी कनिष्का अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को सात दिनों तक उठाए रखा था, जिसके उपलक्ष्य में दीपावली के अगले दिन गोवर्धन त्यौहार मनाया जाता है।