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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब है? जानें पूजन का शुभ मुहूर्त व व्रत पारण का समय

By:Robin Sharma

आस्था। भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए जन्माष्टमी का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। इस दिन जयंती योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में जन्माष्टमी का व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। बता दें कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को कृष्ण जी के जन्म उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्हें विष्णु जी के आठवें अवतार के रूप में भी पूजा जाता है। हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह दिन श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। जन्माष्टमी के इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना की जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण के शरणागत रहने वाले जातकों को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है।

कब है कृष्ण जन्माष्टमी

इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त की रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी, 27 अगस्त रात 2 बजकर 19 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में 26 अगस्त 2024 के दिन कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर में चौकी लगाकर कृष्ण जी के बाल रूप की प्रतिमा रखें। इस दिन उनके बाल रूप की पूजा की जाती है। बाद में सभी पूजा सामग्री को अपने पास एकत्रित कर लें। इस दौरान कृष्ण जी के समक्ष दीप जरूर जलाएं। फिर कृष्ण जन्म कथा का पाठ करते हुए उन्हें माखन का भोग लगाएं। इस दौरान भगवान से प्रार्थना करते हुए कुछ मंत्रों का भी जाप करें।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा सामग्री

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी की पूजा करने से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है। इस दौरान पूजा में धूपबत्ती, अगरबत्ती, कपूर, केसर, चंदन,यज्ञोपवीत 5, कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, आभूषण, रुई, रोली को शामिल करें। इसके अलावा पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी दल, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, छोटी इलायची, लौंग मौली, इत्र की शीशी को जरूर शामिल करें। आप चाहें लाल कपड़ा, पंच रत्न, दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, बन्दनवार भी शामिल कर सकते हैं।

इन मंत्रो का करें, जाप 

कृं कृष्णाय नमः

ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात

ओम क्लीम कृष्णाय नमः

गोकुल नाथाय नमः

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