सत्ता की जंग 2024: हाथ मिले हैं पर दिल नहीं मिल रहा

हापुड़। लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए इंडिया गठबंधन तैयार हुआ है, इस गठबंधन के तहत जगह-जगह अनोखे करतब भी देखने को मिल रहे हैं। कहना यह है की पार्टियों ने हाथ तो मिला लिए हैं, लेकिन नेताओं के दिल मिलने को तैयार नहीं। ऐसे अनेक जगह उदाहरण मिल रहे हैं जहां समाजवादी के नेता कांग्रेस के नेताओं को एक आंख नहीं भा रहे हैं, तो कहीं कांग्रेस के नेता समाजवादी के नेताओं को एक आंख नहीं भा रहे। कहीं बैनर होर्डिंग पर किसी नेता का चित्र न लगने से तो कहीं पुराने विचार नहीं मिलने के चलते नेता एक दूसरे के विरोधी रहे अलग-अलग पार्टियों में। लेकिन इंडिया गठबंधन में एक दूसरे को एक आंख नहीं भा रहे ऐसे नजारे रोज देखे जा रहे। क्या हाथ मिलाने भर से भाजपा को शिकस्त दे पाएगा इंडिया गठबंधन। जहां दिल नहीं मिल रहे वहां वोट कैसी? अब ऐसे में समाज के बीच क्या संदेश लेकर जाएंगे नेता? आज हाथ जरूर मिलाया है लेकिन यह भाजपा को फतह करने के लिए नहीं केवल स्वार्थ सिद्धि के लिए ही माना जाए नेताओं के ऐसे अलग-अलग करनामें जिसमें एक मशहूर कारनामा सोशल मीडिया पर छा रहा है। इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी का चुनाव कार्यालय में एक नेता के चित्र का ना होना वहीं दूसरी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का मौजूद होना जहां नेताजी को एक आंख नहीं भाया क्या समाज के लिए यह एक होकर काम करेंगे क्या जनता का भला करेंगे जो आपस में ही नहीं मेल खा रहे। जिनका आपस में ही तालमेल नहीं वह जनता से क्या मेल करेंगे देखने वाली बात यह है क्या ऐसे नेताओं से इंडिया गठबंधन कामयाब होगा। और जो गठबंधन करने वाले है उनके गठबंधन हर चुनाव मे अलग अलग पार्टी से हाथ मिलाये थे। पहले अखिलेश-जयंत चौधरी की जोडी। अब अखिलेश-राहुल नेता जी की जोडी। नेता रूप-रंग ढंग चाल मोहरे बदलते रहते है लेकिन जनता को उल्लू बनाईंग, जनता जनार्दन होती है।