तेंदुए के हमले में तीन किसान घायल, पुलिस और वन विभाग की टीम ने शुरू की तलाश
हापुड़। गढ़मुक्तेश्वर तहसील क्षेत्रान्तर्गत थाना बहादुरगढ़ क्षेत्र के गांव सालारपुर और चित्तौड़ा के जंगल में खेत पर काम कर रहे तीन किसानों पर तेंदुए ने हमला कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस और वन विभाग की टीम ने जांच शुरु कर दी है। वहीं घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मिली जानकारी के अनुसार, बृहस्पतिवार को गांव चित्तौड़ा निवासी पियूष, दुष्यंत कुमार और योगेंद्र सिंह तेंदुए के हमले में घायल हो गए। घायल पियूष, दुष्यंत कुमार और योगेंद्र ने बताया की वह लोग अपने खेत में गेहूं की फसल काट रहे थे, तभी रजवाहे को पार करके पास के खेत में खड़े गन्ने की फसल से अचानक तेंदुआ निकल आया और उन पर हमला कर दिया जब उन लोगों ने शोर मचाया तो तेंदुआ जंगल में आम के बाग में भाग गया, शोर सुनकर सलारपुर और चित्तौड़ा गांव के लोग भी लाठी डंडे लेकर वहां पहुंच गए, इस दौरान ग्रामीणों ने तेंदुए की वीडियो भी बना ली, जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। लोगों का दावा है कि अभी भी तेंदुआ जंगल में छिपा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह तेंदुआ पकड़ा नहीं गया तो वह किसी और किसान पर दोबारा से हमला करेगा। वहीं सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस और वन विभाग टीम ने तेंदुएं की तलाश तेज कर दी है।
टीम ने शुरू की तलाश
तेंदुए के होने से गांव में दहशत का माहौल बन गया है। किसानों ने वन विभाग से गांव में जंगल के इलाके में पिंजरा लगवाने और जल्द से जल्द तेंदुए को पकड़ने की मांग की है। वहीं वनक्षेत्राधिकारी करन सिंह मे बताया कि कई जिलों की टीम द्वारा गांव सालारपुर और चित्तौड़ा के जंगल में जांच कराई जा रही है, वहीं जंगल में पिंजरा भी लगवाया जाएगा
वन विभाग की एक बार फिर से खुल गई पोल
गढ़ सिंभावली और बहादुरगढ़ क्षेत्र में तेंदुए दिखाई देने और खेतों में कामकाज करने वाले किसान मजदूरों पर झपटने को लेकर अक्सर मामले सामने आते रहते हैं। परंतु हर बार वन विभाग तेंदुए को जंगली बिल्ली अथवा अन्य किसी प्रजाति जुड़ा हुआ जानवर बताकर अपना पल्ला झाडने के साथ ही उल्टे किसान और मजदूर की आंखों देखी स्थिति को झुठलाने का काम करता आ रहा था। परंतु गांव चित्तौड़ा में हुई इस घटना से वन विभाग के दावों की पोल खुलने के साथ ही उसके अधिकारी भी फिलहाल चुप्पी साधने को मजबूर हो रहे हैं। तेंदुए के हमले से भयभीत ग्रामीणों का साफ तौर पर कहना है कि अगर वन विभाग अपनी जिम्मेदारी को झुठलाते हुए सच्चाई से मुंह न मोड़ता तो उक्त तेंदुए को किसानों पर हमला करने से पहले ही समय रहते दबोचा जाना संभव हो सकता था।