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मगफिरत की रात शब-ए-बारात कब, जानिए डेट और इस पर्व का महत्व

ब-ए-बारात को इस्लाम धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना गया है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, शब-ए-बारात हर साल शाबान (शआबान या शाबान इस्लामी कैलेंडर का 8वां महीना) की 15वीं तारीख को होती है। शब-ए-बारात की रात मुसलमान पूरी रात जागकर नमाज अदा करते हैं, कुरान पढ़ते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। यह मान्यता है कि शब-ए-बारात की रात सच्चे दिल से की गई इबादत को अल्लाह जरूर पूरी करते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात को शाबान महीने की 14वीं तारीख को सूर्यास्त के बाद मनाते हैं। शाबान इस्लामिक कैलेंडर का आठवां महीना है, जोकि रजब के बाद आता है।इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, पीर (सोमवार) 12 फरवरी को शाबान महीने की शुरुआत होगी, शाबान महीने की 14वीं और 15वीं तारीख के बीच की रात को शब-ए-बारात मनाई जाएगी, जोकि इस साल रविवार, 25 फरवरी को पड़ सकती है। बता दें कि शब-ए-बारात की तारीख आगे पीछे भी हो सकती है, क्योंकि शाबान का चांद नजर आने के बाद ही शब-ए-बार की तारीख तय होती है।

शब-ए-बारात का महत्व
शब-ए-बारात में शब का अर्थ रात से होता है और बारात का अर्थ होता है बरी या आजाद करना, इसलिए शब-ए-बारात की रात लोग अल्लाह की इबादत कर अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह उन्हें माफ कर देते हैं, इसलिए शब-ए-बारात की रात मुसलमान नमाज पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं और दुआ करते है।

माफी मांगने की रात है शब-ए-बारात
शब-ए-बारात की रात को मगफिरत की रात यानी क्षमा मांगने की रात भी कहा जाता है। इस रात लोग अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। मान्यता है कि, शब-ए-बारात की रात की गई इबादत से गुहानों से छुटकारा मिलता है। बता दें कि शब-ए-बारात समेत जुमे की रात, ईद-उल-फितर की रात, ईद-उल-अजहा की रात, रजब की रात जैसे पांच रातों को इस्लाम में गुनाह माफ करने वाली रात माना जाता है। इस रात की गई दुआ से अल्लाह सारे गुनाह माफ कर देता है।

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