खेतों में पराली जलाने पर होगी कार्रवाई: एसडीएम
गढ़मुक्तेश्वर, हापुड़। तहसील क्षेत्र में फसलों के अवशेष (पराली) जलाने वाले किसानों पर एफआईआर दर्ज कर मुकदमा पंजीकृत किया जाएगा तथा उन पर भारी अर्थदंड भी लगाया जाएगा। एसडीएम अंकित कुमार वर्मा ने बताया कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है। पराली का धुआं श्वास संबंधी रोगों को फैलाता है। जिससे अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं। जिस खेत में पराली जलाई जाती है। उसमें किसानों के मित्र कहे जाने वाले जीव तथा कीट भी आग की चपेट में आकर मर जाते हैं।
उन्होंने कहा अगर फसलों के अवशेष (पराली) जलाता हुआ कोई भी किसान पाया गया तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम कहते हैं कि किसान योजना का लाभ लेकर इससे फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने बताया कि पराली प्रबंधन में आधुनिक कृषि यंत्र काफी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। यही कारण है कि सरकार कस्टम हायरिंग सेंटरों की संख्या अधिक बढ़ा रही है। फसल अवशेष प्रबंधन में प्रयोग होने वाले यह सात तरह के उपकरण आमतौर पर किसानों के लिए किसी हथियार से कम नहीं है। जो खेती बचाने, लोगों के जीवन को स्वस्थ रखने में मदद कर रहे हैं।
सरकार इन उपकरणों पर 50 से 80 फीसद तक छूट भी दे रही है। व्यक्तिगत मशीन लेने पर 50 फीसद और कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए मशीन लेने पर 80 फीसद छूट दी जाती है। वह कहते हैं कि निम्न यंत्रो पर किसान हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, सीड ड्रिल, मल्चर, सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, स्ट्रा बेलन आदि पर अनुदान ले सकते हैं।