नवरात्रि में सातवें दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा का विधान
आस्था। शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। 21 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है। इस दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है। साथ ही ये देवी अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं। इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं। मां कालरात्रि की पूजा-आराधना से भय और रोग का नाश होता है। साथ ही भूत प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियां भी समाप्त हो जाती हैं, ऐसे में आइए जानते हैं।
मां कालरात्रि की पूजा विधि और महत्व
●शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान करें। ●स्नान के बाद माता के सामने घी का दीपक जलाएं। ● उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें। ●मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है।
इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है
मां कालरात्रि को गुड़ या उससे बने पकवान का भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद माता के मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें। साथ ही दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
इस मंत्र का करें जाप
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
ॐ कालरात्र्यै नम: