कार्बाइड से पकाकर बाजार में सजाकर धडल्ले से बेचा जा रहा आम
हापुड़। बागों में अभी आम पके नहीं हैं, लेकिन बाजार में कई किस्म के आम आ गए हैं। दशहरी, बीसा, मालदा समेत अन्य किस्म के आम बाजार में दिखने लगे हैं। मंडी में विभिन्न राज्यों से बड़े पैमाने पर आम मंगाए जा रहे हैं। इन्हें कार्बाइड से पकाकर बाजार में सजाया जा रहा है। समय से पहले बाजार में बिकने वाले आम एक तो खाने में कम मीठे हैं दूसरा ये स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। व्यवसायी वर्ग को सिर्फ अपनी आमदनी नजर आ रही है। लोगों की सेहत से उनका कोई लेना देना नहीं है।
कैसे करेंगे पहचान
रसायन से पकाए गए आम को खाने से मुंह में थोड़ी जलन, गले में जकड़न, पेट में दर्द व दस्त जैसी समस्याएं आम हैं। ऐसे आम के रंग व स्वाद में भी फर्क रहता है। रसायन से पकाए आम में या तो पीले भाग में धब्बे से पड़ जाते हैं या फिर एक रंग का नजर नहीं आता है। ऐसे आम बहुत जल्दी खराब होने लगते हैं, वहीं प्राकृतिक ढंग से एक आम का रंग एक जैसा होता है। यह चमकीला होता है। रसायन से पके आम का बाहरी भाग पीला होता है, लेकिन अंदर गुदे में कुछ कमी रह जाती है।
हो सकती है सजा व जुर्माना
स्थानीय खाद्य सुरक्षा ओषधि निरीक्षक ने बताया कि फूड सेफ्टी एवं स्टैंडर्ड एक्ट में खाद्य पदार्थों को अप्राकृतिक ढंग से पकाना गलत है। ऐसे फलों के बिकने की सूचना पर समय-समय पर नमूने संग्रह कर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों के असुरक्षित पाए जाने पर छह माह तक की सजा का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त तीन लाख रुपये तक के जुर्माने तक का भी प्रावधान है।
स्वास्थ्य के लिए है हानिकारक
मुख्य चिकित्सक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार त्यागी ने बताया कि कार्बाइड व रसायन लगाकर पकाया गया आम सेहत के लिए हानिकारक है। इसका सेवन करने से पेट में दर्द, गेस्ट्रोटाइटिस, एलर्जी, पेट में अल्सर तथा कैंसर तक हो सकता है। आक्साइड देकर फल को पकाने से यह जहरीला हो जाता है। इसका सेवन करने वालों के स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता हैं। पौधे को जल्दी बड़ा करने तथा अधिक फल फूल के लिए भी रसायन का इस्तेमाल हो रहा है। यह आम जैसे फलदार पौधे की जाति भी प्रभावित हो रही है। इसके साथ यह कैंसर जैसी बीमारी का भी कारण बन सकता है। इसे हाथ से बार-बार छूने से हाथों में खुजली, आंखों में जलन आदि हो सकती है। इससे निकलने वाली गैस के अधिक देर तक संपर्क में रहने वालो के फेफड़े को नुकसान पहुंचता है। यानी यह आम फायदे की बजाय नुकसानदायक और जानलेवा हो सकता है।