हापुड़: छह वर्षीय मासूम की हत्या के मामले में न्यायालय ने मृतका की मां और तहेरे भाई को दोषी करार दिया
दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया
हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर। बहादुगढ़ थाना क्षेत्र के गांव जखैड़ा रहमतपुर में 31 मार्च को अवैध संबंधों को छिपाने को लेकर हुई छह वर्षीय मासूम काव्या की हत्या के मामले में न्यायालय ने मृतका की मां और तहेरे भाई को दोषी करार दिया है। घटना के मात्र 139 दिन में न्यायालय ने दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। बहादुरगढ़ थाना क्षेत्र के गांव जखैड़ा रहमतपुर में खंडहर में छह वर्षीय काव्या का शव पड़ा मिला था। इस मामले में मृतका के पिता ने बहादुरगढ़ थाने में 31 मार्च को मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया कि उसकी पुत्री काव्या शाम करीब पांच बजे गांव में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र के सामने खेल रही थी। शाम करीब छह बजे उसकी पत्नी सुलेखा ने तलाश किया तो काव्या कहीं नहीं मिली। गांव के अनेकों लोगों व परिजन ने तलाश की तो बिजेंद्र तोमर के खंडहरनुमा मकान के कमरे में शाम को करीब 8.45 बजे वह मृतक अवस्था में पड़ी मिली। इस दौरान काव्या के गले, चेहरे व सिर आदि पर चोट के निशान थे। इससे ऐसा लगता है कि काव्या की किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा हत्या की गई है। पुलिस की जांच के बाद दो अप्रैल राजीव तोमर ने एक अन्य तहरीर देते हुए बताया कि काव्या के साथ हुई घटना की जानकारी करने पर पता चला है कि उसकी पत्नी सुलेखा और भतीजे अंकित को काव्या ने आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। जिसके बाद सच्चाई छिपाने के लिए सुलेखा व अंकित द्वारा काव्या की घर की रसोई में हत्या कर शव को खंडहर में फेंक दिया गया।
पुलिस ने इस मामले की जांच कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। जनपद न्यायाधीश मलखान सिंह ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अभियुक्त अंकित कुमार एवं सुलेखा को धारा 302 में सश्रम आजावीन कारावास व 20-20 हजार रुपये के आर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने पर प्रत्येक अभियुक्त को एक एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। जबकि धारा 201 में तीन वर्ष के सश्रम कारावास तथा पांच-पांच हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड अदा न करने पर दो-दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतेगा। कुल अर्थदंड धनराशि में से राशि 20,000 रुपये राज्य सरकार को तथा शेष धनराशि अर्थात 30,000 रुपये मृतका काव्या के पिता को प्रतिकर के रूप में देय होगी।