शिव महापुराण के पांचवें दिन पति की महत्ता का गुणगान हुआ
By:Arun Kumar हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर। पति भी परमेश्वर समान होता है जिसकी सेवा करने से नारी के जीवन का बेड़ा पार हो जाता है, परंतु जो नारी अपने पतियों को परेशान करती हैं वे स्वयं भी इस पीड़ा की भागीदार बनकर अपने जीवन को व्यर्थ करने वाली होती हैं। पौराणिक मुक्तेश्वरा महादेव नक्का कुआं मंदिर में चल रही शिव महापुराण के पांचवें दिन पति की महत्ता का गुणगान हुआ। दिल्ली से आए व्यास सुरेश दत्त ने कहा कि माता मैंना के द्वारा पार्वती को पतिव्रत धर्म के विषय में समझाते हुए कहा कि नारी का पति ही परमेश्वर होता है। जिस नारी ने अपने पति के चरणों की पूजा की है वह अपने जीवन का कल्याण कर लेती है। क्योंकि नारी अर्धांगिनी होती है और पति जो कुछ भी शुभ कर्म करता है उसका आधा हिस्सा पत्नी को स्वयं ही प्राप्त हो जाता है। माता अनसूया जानकी अरुंधति आदि नारियों का वर्णन सुनाते हुए कहा कि वह नारी धन्य है जिसने अपने पति, सास और ससुर की पूजा करती है। भगवान शिव ने विवाह संपन्न होने के बाद सभी ऋषि मुनियों को सहर्ष सम्मान पूर्वक विदा किया और उसके बाद कैलाश पर्वत पर चले गए। व्यास ने कहा कि जो भी भक्ति भाव से शिव और पार्वती के प्रसंग को मन लगाकर पड़ता या सुनता है, वह शिवलोक को प्राप्त कर लेता है। यह अद्भुत आख्यान संपूर्ण विघ्नों को शांत करके समस्त रोगों का नाश करने वाला है। शिव महापुराण के श्रवण से मानव को स्वर्ग, यश, आयु, पुत्र और पौत्र की प्राप्ति होती है। यह संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करते हुए इस लोक में मानव को सभी प्रकार के सुख साधन का भोग देता है और परलोक में मोक्ष प्रदान करता है। मंदिर के मुख्य महंत बराहा गिरी महाराज ने कहा कि संत मिलन को चाहिए तज माया अभिमान जो जो पग आगे धरे कोटि यज्ञ समान अर्थात संतों का दर्शन सत्संग यदि मानव करता है और सत मार्ग पर चलता है उसको सभी सुख परमपिता प्रदान करता है। इस दौरान महंत गजेंद्र गिरि, श्रवण गिरि, राम गिरि, एडवोकेट रेनू छोकर, रेखा, माला गर्ग, करुणा भारद्वाज, उर्मिला, सावित्री, ओमवती, पूजा, लाल सैनी, विनोद गर्ग, दिनेश अग्रवाल, प्रशांत सैनी, शैलेंद्र शास्त्री, नितिन गर्ग, प्रदीप कुमार, दिनेश शर्मा आदि मौजूद रहे।