कैसे चलेंगे शिव भक्त: गड्ढा मुक्त अभियान का हाल हुआ बेहाल तीर्थ नगरी में जर्जर हुई सड़के, जिम्मेदार कौन
हापुड़। हरिद्वार के उत्तराखंड राज्य में जाने के बाद से ही गंगा किनारे बसी प्रसिद्ध तीर्थ नगरी गढ़-बृजघाट को हरिद्वार की तर्ज पर विकसित करने की मांग उठी है। एक तरफ उत्तराखंड के हरिद्वार से करोड़ों कांवड़ उठती है, तो यूपी के मिनी हरिद्वार ब्रजघाट से भी कई लाख शिवभक्त कांवड़ भरते हैं,जो अपने अपने गन्तव्यों को जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। परंतु ब्रजघाट तीर्थनगरी की सड़कों को पार करने में ही शिवभक्तों को गड्डों और टूटे रोड से होकर गुजरना पड़ेगा। पालिका की अनदेखी के चलते ब्रजघाट तीर्थनगरी की सड़कों की मरम्मत तक नहीं कराई जा रही है। स्थानीय प्रशासन केवल गेस्ट हाउस तक मीटिंग करके अपने कार्य की इतिश्री कर लेता है।
सावन में कांवड़ यात्रा की तैयारी को लेकर पुलिस ने धरातल पर उतरकर काम करना शुरू कर दिया है। जिले को पांच जोन में बांटते हुए ब्रजघाट को अलग से जोन बना दिया है। पुलिस अधिकारी लगातार ब्रजघाट में मॉनेटरिंग कर रहे हैं। वहीं पालिका और स्थानीय प्रशासन के दावों की पोल ब्रजघाट की सड़कों की तस्वारें खुद खोल रही है। जहां पर लाखों शिवभक्ता कांवड़ उठाने के लिए पहुंचेंगे वहां पर अभी तक सड़कों की मरम्मत तक नहीं कराई गई है। तीर्थनगरी के दो वार्ड में ही बुरा हाल हो रहा है। जबकि गंगा तट से कांवड़ लेकर शिवभक्त इन मार्गों को ही गुजर कर अपने गन्यव्यों को जाएंगे। यहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करने और कावड़ लेने आते हैं, लेकिन गंगा नगरी में फैली गंदगी, जर्जर बिजली के तार, टूटी पड़ी सड़के, सड़कों के गड्ढों में भरा गंदा पानी, कीचड़, गंदगी के अंबार और अतिक्रमण से गंगानगरी को ग्रहण लग रहा है। श्रवण की कावड़ यात्रा में सिर्फ चंद दिन शेष बचे हैं, लेकिन संबंधित विभागों के अधिकारी इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसका खामियाजा अब शिव भक्तों को भुगतना पड़ेगा।