हल्की बूंदाबांदी से किसानों के चेहरे पर मायूसी
By:Robin Sharma हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर। मौसम ने सोमवार की रात से करवट बदली और आसमान में बादल छा गए। मंगलवार की सुबह को कुछ देर के लिए बूंदाबांदी भी हुई जिससे किसानों के चेहरे पर मायूसी देखने को मिली और इसी हल्की सी बूंदाबादी से विनीत त्यागी झड़ीना, यूनिक त्यागी सहित कई अन्य किसानों की सरसों की फसल गिर गई है, सरसों की फसल के लिए बूंदाबांदी नुकसानदेह मानी जा रही है। गेहूं उत्पादक किसानों को भी डर है कि यदि बूंदाबांदी बारिश में बदली और हल्की सी भी हवा चली तो फसल गिर जाएगी। इससे उत्पादन पर भारी प्रभाव पड़ेगा। इस बार फरवरी में मौसम ने कुछ इस तरह करवट बदली कि समय से पहले ही गर्मी का एहसास हो गया। गेहूं की पछेती फसल का बेहतर विकास नहीं हो सका। इसी बीच सोमवार की रात मौसम का मिजाज फिर बदल गया। मंगलवार की सुबह और शाम को बूंदाबांदी भी हुई। सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए और बादल कुछ इस तरह आक्रामक दिख रहे थे, मानो तेज बारिश कुछ देर में भी होने वाली है। मौसम के इस रंग को देख किसानों की चिता बढ़ गई। चूंकि, इस समय सरसों की फसल पकाव पर है। जिन किसानों ने सरसों की अगेती फसल बोई थी वह भी पककर कटने क़े लिए खेतों में खड़ी है।ऐसे में उन किसानों के लिए बूंदाबांदी भी नुकसानदायक साबित होने वाली है। किसानों की मानें तो अब यदि बारिश हुई तो सरसों की पछेती फसल के साथ गेहूं की फसल को भी भारी नुकसान होगा। आपको बता दें, कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने के बाद किसान गेहूं और सरसों की फसल को भी तरजीह दी जाती हैं। गेहूं और सरसों का उत्पादन भी यहां बड़े पैमाने पर होता है। इस बारे में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि इस समय की बारिश या बूंदाबांदी सरसों और गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाएगी। इन फसलों में इस समय दाना बन रहा है। बारिश होने पर बाली में भारीपन आ जाएगा, जिससे हल्की सी हवा चलने पर भी फसल गिर जाएगी, जिससे उसका विकास रुक जाएगा, गेहूं का दाना जीरा रहने के साथ उत्पादन पर भी इसका भारी असर पड़ेगा।