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खादर की भूमि पर आस्था के बीच मस्ती के अलग नजारे

By:Robin Sharma

गढ़मुक्तेश्वर, हापुड़। कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला युवाओं के लिए पिकनिक स्पाट बन गया है। गंगा की रेती पर दस दिन के लिए बसे तंबुओं के अस्थायी शहर में युवा गंगा की रेती में अठखेलियां कर रहे हैं। युवा गंगा में तैराकी का भी खूब लुत्फ उठा रहे हैं। वहीं नन्हें-मुन्ने बच्चे रेत से घर-मंदिर आदि बनाने में लगे हुए हैं। जबकि कुछ युवा तो राजनीति पार्टियों के झंडे लगाकर ट्रैक्टर ट्राली पर साउंड बजाकर मेले का भ्रमण कर रहे हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा किनारे लगने वाले गंगा मेले में हर साल कुछ नयापन दिखाई देने लगा है। मेले में युवा वर्ग अधिक आने लगे हैं। मेला पिकनिक का रूप लेता जा रहा है।

इस बार भी गंगा की रेती का नजारा कुछ अलग है। आस्था तो सिरमौर है हीं, साथ ही रेत के मैदान पर मस्ती के नजारे भी देखने को मिल रहे हैं। दस दिन तक बसने वाली तंबुओं की नगरी में महिलाएं और बुजुर्ग पूजा-पाठ में लीन हो रहे हैं। सुबह से लेकर शाम तक प्रभु का स्मरण किया जा रहा है। युवा मौज- मस्ती में वक्त बिता रहे हैं। पानी में खड़े होकर मीनार बनाना, कलाबाजी करना, तैराकी रेस और पानी के बीच उछल-कूद करना युवाओं की दिनचर्या में शुमार हो गया। बैडमिंटन से लेकर कबड्डी आदि रेत के मैदान पर खूब खेली जा रही हैं। कुछ डेरों में तो टीवी पर मनोरंजन कार्यक्रम दिखाई पड़ रहे है। दिन प्रतिदिन मेला अपने रंग बदल रहा है।

शुक्रवार को भी दस लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी
शुक्रवार को भी करीब दस लाख से अधिक श्रद्धालु ने गंगा में स्नान किया। सुबह से दोपहर बाद तक गंगा में स्नान चलता रहा।दस लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में गोता लगाया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने गंगा तट पर हवन-यज्ञ कर पूजा आराधना की।

मेले के मद्देनजर चटाई की बिक्री में तेजी आई
खादर मेले में पहुंच रहे लोग टैंट तंबू गाढ़कर अपना पड़ाव डाल रहे हैं, जिन्हें गंगा किनारे रेतीले मैदान की ठंडी मिट्टी से बचाव के लिए तरह- तरह के प्रयत्न करने पड़ रहे हैं। गढ़ में चटाई बनाने का धंधा करने वाले लोग मेले में पहुंचकर चटाई की बिक्री कर रहे हैं, जहां मांग में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।

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