भगवान शिव के बारह कल्पों का वर्णन किया
By:Arun Kumar हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर। भगवान शिव के बारह कल्पों का वर्णन करते हुए प्रथम से लेकर नवम अवतार की कथा का वर्णन सुन भक्त भाव विभोर हुए। पौराणिक मुक्तेश्वर महादेव नक्का कुआं मंदिर में चल रही नौ दिवसीय शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन शिव महिमा की कथा का वर्णन किया गया। दिल्ली से आए व्यास आचार्य सुरेश दत्त ने भगवान शिव के बारह कल्पों में होने वाले शिव जी के प्रथम अवतार से लेकर नवम ऋषभ अवतार का वर्णन किया। जिसमें ब्राह्मन नवी चतुरयुगी के द्वापर युग में मनी श्रेष्ठ श्री सारस्वत व्यास नाम से प्रसिद्ध होंगे। भगवान शिव ने कहा था कि व्यास के निवृत्ति मार्ग की वृद्धि के लिए ध्यान करने पर मैं ऋषभ नाम से अवतार लूंगा। उस समय पाराशर गर्ग भार्गव तथा गिरीश नाम के मेरे चार महायोगी शिष्य होंगे। व्यास ने योग का वर्णन करते हुए सांसारिक लोगों को समझाया की प्रातकाल सूर्य उदय से डेढ़ घंटे पहले हमको जागना चाहिए और योग प्राणायाम करना चाहिए इससे शरीर और मस्तिष्क दोनों ही शुद्ध रहते हैं। भगवान शिव जी शिव महापुराण में बताते हैं कि प्रजापते उनके सहयोग से योग मार्ग सुदृढ़ बनाऊंगा। ऋषभ नाम का अवतार योग मार्ग का प्रवर्तक सारस्वत व्यास के मन को संतोष देने वाला और सभी प्रकार की रक्षा करने वाला होता है। मंदिर के मुख्य महंत बराहा गिरि महाराज ने कहा कि आज हर घर में बीमारी का वास है, इसका मुख्य कारण है कि हम लोगों का खान-पान निंद्रा आदि व्यवस्थाओं का समय पर न होना है। इस अवसर पर गजेंद्र गिरि, श्रावणा गिरि, रामगिरिस मंगलगिरि, आचार्य जयकुमार, आचार्य मदनपाल, आचार्य पंडित खिलानंद बिष्ट, अलका, शिवकुमारी, सुमन, राजवती, गायत्री, माला गर्ग, करुणा, रेणुका, शिवांगी, आनंद कुमार, संजय, सुभाष, विनोद, प्रशांत, बिजेंद्र सैनी, राधेश्याम, कृष्णदेव कंसल, दिनेश अग्रवाल, पूर्व चेयरमैन कृष्णवीर सिंह गब्बर, कृष्णकांत ढोला समेत सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।