गंगा किनारे अटखेली करता दिखाई दिया घड़ियाल
हापुड़। गढ़मुक्तेश्वर गंगा किनारे घड़ियाल को देख आसपास के जंगल में काम कर रहे किसान और मजदूर उल्टे पांव भाग निकले। जंगल में कामकाज करने वाली महिला और बच्चों में भारी दहशत व्याप्त हुई। महाभारत कालीन पुष्पावती पूठ तीर्थनगरी के जंगल से होकर निकल रही गंगा मैया के किनारे की जलधारा में मंगलवार की दोपहर को एक घड़ियाल अटखेली कर रहा था। जिस पर नजर पड़ते ही आसपास के खेतों में कामकाज कर रहे किसान और मजदूर दहशत के चलते वहां से उल्टे पांव अपने घरों को भाग निकले। गंगा में घडिय़ाल दिखाई देने से महिलाओं समेत उन बच्चों में सर्वाधिक दहशत फैल गई है, जो प्रतिदिन गंगा किनारे वाले जंगल में कामकाज के साथ ही अपने पशुओं के लिए चारा और घास लेने आते जाते हैं। पुष्पा, राधा, कलिया, विनोद, महेश का कहना है कि घड़ियाल दिखाई देने से गंगा के तटीय क्षेत्र वाले जंगल में कामकाज के साथ ही पशुओं के लिए चारा और घास लाने वाली महिला और बच्चों में सर्वाधिक दहशत व्याप्त हो गई है, जिसके चलते वे फिलहाल जंगल में जाने को भी तैयार नहीं हैं।
गंगा की जलधारा को साफ सुथरा रखने में मददगार होते हैं घड़ियाल
पर्यावरणविद् भारत भूषण गर्ग का कहना है कि घड़ियाल, कछुवे और धाधल भी मानवमित्र डॉल्फिन की तरह गंगा की जलधारा को साफ सुथरा और प्रदूषण मुक्त करने में मददगार रहते हैं। जो हानिकारक जीव जंतुओं का भक्षण करते हुए गंगा की जलधारा को साफ सुथरा करते हैं। इसी के चलते वन विभाग और वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट द्वारा गंगा में आए साल घड़ियाल छोड़े जाते हैं। उन्होंने बताया कि घड़ियाल सुबह के समय अक्सर गंगा के किनारे पर आकर जलधारा से बाहर निकलते हुए धूप सेकते हैं। उन्होंने बताया कि घड़ियाल किसी भी दशा में खेतों के अंदर पहुंचकर किसान अथवा मजदूरों पर कोई हमला नहीं कर पाते हैं, इसलिए उनसे अनावश्यक डरने की कोई जरूरत नहीं है।