बदलते मौसम में बच्चे हो रहे निमोनिया और डायरिया के शिकार
By:Robin Sharma हापुड़। बदलते मौसम में लोगों को बीमारियों से बचे रहने की जरूरत होती है। खासकर बच्चों को निमोनिया और डायरिया न हो, इसे लेकर खासा सतर्क रहना चाहिए। हालांकि सिर्फ सर्दी के मौसम में ही निमोनिया नहीं होता है। यह आम दिनों में भी होता है, लेकिन सर्दी के मौसम में इसके होने की ज्यादा संभावना रहती है। इसी तरह यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन बुजुर्गों और बच्चों में इसके होने की संभावना अधिक रहती है। विशेषकर बच्चों को बचाने के लिए इसे लेकर सावधान रहना जरूरी हो जाता है। इसलिए ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर बच्चों को कैसे रखें, जिससे कि वह निमोनिया की चपेट में नहीं आए। डॉ मोहम्मद अली ने बताया कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इस वजह से उनके बीमार होने का खतरा अधिक रहता है। बच्चों की सेहत का अगर ध्यान ठीक से नहीं रखा जाए तो वह सर्दी के मौसम में निमोनिया की चपेट में भी आ सकता है। निमोनिया सांस से जुड़ी बीमारी है जो आमतौर पर दो सप्ताह में ठीक हो जाती है। यह सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है जो आमतौर पर वायरल से होता है। मौसम बदलने के कारण सर्दी लगने से यह बीमारी होती है। सर्दी के मौसम में यह बीमारी ज्यादा परेशान करती है, इसलिए अगर किसी के बच्चे में निमोनिया के लक्षण दिखे तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करें।
ये हैं लक्षण
डाक्टर अली के अनुसार तेज बुखार, तेज सांस चलना, बढ़ती सर्दी खांसी और छाती के अंदर धंसना। अगर किसी के बच्चे में यह लक्षण दिखे तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। इलाज में देरी खतरनाक हो सकती है। नवजात शिशुओं में निमोनिया के संक्रमण का कोई भी लक्षण जल्दी नजर नहीं आता है, इसलिए अगर सर्दी, खांसी, बुखार और सांस तेज चलने की शिकायत हो तो उसे तत्काल डॉक्टर को दिखाएं।
बचाव
गर्म कपड़े पहनाने के पहले सूती कपड़ा जरूर पहनाएं, पानी दिन में कई बार पिलाएं, बच्चे को धूप में जरूर ले जाएं।