द्वेष भावना और बुराइयों की जलाएं होली
By:Robin Sharma हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर। होली का पर्व बहुत ही रंगीन और खुशहाली का प्रतीक होता है एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर गले मिलन और मिष्ठान नमकीन नाना प्रकार के पकवान और व्यंजनों से परिवार मे त्यौहार को रंगीन तरीके से मनाया जाता है।
क्या है होली दहन का इतिहास
भक्त प्रहलाद की जीवन लीला समापन करने के लिए पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहिन होलिका को इसलिए चुना था क्योंकि होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती और इसलिए होलिका की गोद में प्रहलाद को बैठाया गया और अग्नि जलाई गई लेकिन उस अग्नि में होलिका का तो दहन हो गया और प्रहलाद सकुशल बच गया। होलिका का दहन इसलिए हुआ क्योंकि भले ही होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान मिला हुआ था लेकिन होलिका जिस कार्य के लिए उसने यह परीक्षा दी वह अनुचित थी ईश्वर विरोधी थी भक्ति विरोधी थी और इसलिए उसका वह वरदान निष्फल हुआ और होलिका के साथ भगवान के भक्तों की परीक्षा में हिरण्यकश्यप के जैसे विचारों की भगवान विरोधी विचारधारा पिता पुत्र अनुचित भक्ति विरोध नाता और अनेक बुराइयों का अंत उस होलिका के साथ दहन हो गया और इसी लिए तब से होलिका दहन किया जाता है।
क्या है वैज्ञानिक तथ्य होलिका दहन के पीछे?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जब होलिका दहन होता है तो उसके अंदर से जो ज्वाला के रूप में जो अग्नि प्रज्वलित होकर वातावरण में जाती है वह किसान हितैषी और आने वाली फसल के लिए लाभदायक होती है ऐसा भी उल्लेख है। गेहू जौ चना मसूर दलहन वाली फसलों को लाभ होता है।
प्रधानाचार्य अमृत सिंह चौहान स्वतंत्र भारत इंटर कॉलेज सलारपुर ने संदेश दिया कि होली के पर्व पर होली के दहन के साथ उन सभी बातों का दहन करें जो समाज विरोधी हैं असामाजिक गतिविधियों से लिप्त हैं द्वेष भावना से युक्त है। एक दूसरे को रंग गुलाल लगे लेकिन उस गुलाल में प्रेम की भावना की सुगंध हो।
भाकियु नेता जीते चौहान समस्त ने किसान बिरादरी और समाज को होली के पर्व पर आपसी मतभेद भुलाकर प्रेम और सौहार्द से होली का पर्व मनाते हुए एक दूसरे के साथ खुशियां बांटने का आह्वान किया साथ ही नकली रंगो और गुलाल का प्रयोग करने से बचें रहने की सलाह दी।
बहादुरगढ़ थाना प्रभारी सुरेश कुमार ने होली का दहन उसी तरह से करें जैसे समाज की समाज विरोधी गतिविधि वैर भाव, द्वेष भावना, ज्वलेषी बुराई और विधि विरुद्ध कार्य उन सभी का होली पर दहन करें और शपथ लें कि इस होली दहन के साथ-साथ हम उन सभी ऐसे बुरे कार्यों का दहन करते हैं।
डाक्टर चौधरी इरकान खां भाकियु संघर्ष के राष्ट्रीय प्रवक्ता समाजसेवी प्रधान पति कहते हैं कि होली प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है। होली और ईद ऐसे पर्व है जो एक दूसरे को गले लगा कर मनाए जाते हैं। डॉक्टर इरफान चौधरी का कहना है कि अगर एक दूसरे को गले से हृदय से लगाए प्रेम भावना के साथ समाज के हिस्सेदार बने तो समाज हमेशा उन्नति करेगा और होली का पर्व हम सभी उन देश भावना और बुरे कर्मों का दहन करें।
होली आइ रे, आइ रे, देखो होली आइ रे। होली तो जलेगी लेकिन समाज मे होली सभी बुराइयो का दहन कर गले मिलन के साथ मनाई जायेगी तो समाज मे अच्छा संदेश जायेगा। होली का अर्थ समझकर उसे अपने जीवन मे उतारना अति आवश्यक है।