चैत्र नवरात्रि की अष्टमी-नवमी को माना जाता है श्रेष्ठ, जानिए कन्या पूजन की विधि
By:Robin Sharma
हापुड़। मां दुर्गा को समर्पित चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं, इस पवित्र दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की विधिवत पूजा होती है, वैसे तो नवरात्रि के हर दिन का खास महत्व है, लेकिन इसमें महाअष्टमी और महानवमी तिथि को श्रेष्ठ माना गया है, अष्टमी और नवमी के दिन घर-घर में देवी की पूजा, हवन, कन्या पूजन होता है, नवरात्रि के व्रत का पारण भी इसी तिथि पर होता है, आइए जानते हैं कि इस बार अष्टमी और नवमी तिथि किस दिन पड़ रही है, इसमें कन्या पूजन कैसे किया जाता है।
कब है अष्टमी तिथि
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन महाष्टमी मनाई जाती है, इस दिन मां महागौरी की पूजा का विधान बताया गया है, इस बार चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि 15 अप्रैल को दोपहर 12.11 बजे से 16 अप्रैल दोपहर 01.23 बजे तक रहेगी। उदिया तिथि के चलते महा अष्टमी 16 अप्रैल को मनाई जाएगी।
कब है नवमी तिथि
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी मनाई जाती है, इस दिन देवी की नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा होती, इस बार चैत्र शुक्ल नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 01.23 बजे से 17 अप्रैल को दोपहर 03.14 बजे तक रहेगी, ऐसे में नवरात्रि की महानवमी 17 अप्रैल को मनाई जाएगी, साथ ही इसी दिन नवरात्रि व्रत का पारण भी किया जाता है।
कन्या पूजन की विधि
कन्या पूजन के एक दिन पहले सभी कन्याओं को आमंत्रित करें। जब कन्याएं और बटुक (छोटे लड़के) के घर आ जाएं, तो उनका जल से पैरे धोएं और उनके चरण स्पर्श करें। अब उन्हें स्वच्छ आसन पर बिठाएं। फिर कन्याओं और लड़कों की कलाईयों पर मौली बांधें और उनका तिलक करें। इसके बाद उन्हें भोजन खिलाएं। कन्या पूजन के लिए हलवा और पूड़ी का प्रसाद तैयार करें। बच्चों को प्यार से भोजन खिलाएं और अंत में उन्हें गिफ्ट्स दें। उनके पैर छुएं और उन्हें भेजने जाएं।