भाकियू संघर्ष के कार्यकर्ताओं ने अद्धनग्न होकर धरना प्रदर्शन किया
सिंभावली, गढ़मुक्तेश्वर। बैंकों के कर्ज की अदायगी न होने पर डिफाल्टर घोषित हुई सिंभावली चीनी मिल के सभी दायित्व प्रबंधन से छीने जाने पर भाकियू कार्यकर्ताओं ने अद्र्धनग्न होकर धरना प्रदर्शन किया। बैंकों से पहले किसानों को उनके बकाया गन्ना भुगतान की अदायगी कराए जाने की मांग करते हुए कई घंटों तक धरना दिया। दस बैंक शाखाओं से लिए हुए करीब तेरह सौ करोड़ के कर्ज के साथ ही सैकड़ों करोड़ के ब्याज की अदायगी न होने पर एनसीएलटी कोर्ट ने सिंभावली चीनी मिल के प्रबंधन से सभी दायित्व छीन लिए हैं। कोर्ट ने मिल का सारा जिम्मा प्रबंधन से छीनकर अब आरआईपी नियुक्त किए गए अनुराग गोयल को सौंप दिया है। जो मिल के संचालन को सुचारू रखते हुए उससे जुड़े बैंक के कर्ज की अदायगी की व्यवस्था करेंगे। सिंभावली चीनी मिल से फिलहाल प्रबंधन का सारा दखल समाप्त होने से किसानों में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि उनका करीब तीन सौ करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान अभी मिल की तरफ बाकी चल रहा है। भाकियू संघर्ष के सैकड़ों कार्यकर्ता शनिवार को सिंभावली में एकत्र हुए। जिन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष सरनजीत गुर्जर, राष्ट्रीय महासचिव चेयरमैन कृष्णवीर गब्बर, युवा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष असीम खत्री, पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष नितेश पंडित, जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रधान, प्रधान सुशील राणा, तहसील अध्यक्ष कदीर माहेगीर के नेतृत्व में चीनी मिल का घेराव करते हुए काफी देर तक अद्र्धनग्न होकर प्रदर्शन किया। इसके उपरांत भाकियू कार्यकर्ता मिल गेट पर तंबू गाढक़र बेमियादी धरना देकर बैठ गए। राष्ट्रीय अध्यक्ष सरनजीत गुर्जर और राष्ट्रीय महासचिव कृष्णवीर गब्बर ने कहा कि बैंकों से पहले बकाया गन्ना भुगतान चुकता कराया जाए, क्योंकि कई माह पहले पेराई सत्र बंद होने के बाद भी अभी तक अपने ही गन्ने का भुगतान न मिल पाने से जरूरतमंद किसानों को ब्याज पर कर्ज तक लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। युवा प्रदेश अध्यक्ष असीम खत्री और पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष नितेश पंडित ने कहा कि चीनी मिल के डिफाल्टर घोषित होने के बाद प्रबंधन का सारा दखल समाप्त होने से किसानों के साथ ही मिल से जुड़े सैकड़ों कर्मचारियों में अपने भविष्य को लेकर अजीब सी चिंता बनी हुई है। इसलिए सबसे पहले किसानों का भुगतान कराने के साथ ही मिल कर्मचारियों में व्याप्त आशंका को भी दूर कराया जाए। संजीव प्रधान, गौरव कुमार, अजय त्यागी, तनुज त्यागी, इमरान अली, गौरव कुकरेजा, संदीप चौधरी, अमित कुमार, रिजवान चौधरी, अजय शर्मा, सुखपाल सिंह, विनोद शर्मा समेत सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
जाम लगाने के प्रयास को पुलिस ने कर दिया विफल
चीनी मिल का घेराव और मैन गेट पर धरना प्रारंभ करने के बाद भाकियू कार्यकर्ता सडक़ पर जाम लगाने की मंशा से नारेबाजी और हंगामा करते हुए आगे बढ़ गए। परंतु इसी दौरान थाना प्रभारी पियूष के नेतृत्व में मौके पर बड़ी तादाद में मौजूद पुलिस ने उन्हें सडक़ पर जाम लगाने से पहले ही रोकते हुए वापस लौटा दिया। थाना प्रभारी ने जाम लगाने की बजाए चीनी मिल के साथ ही गन्ना विभाग और प्रसासनिक अधिकारियों से वार्ता कर उनके माध्यम से अपनी समस्या का निराकरण कराने की सलाह दी, जिसे मानते हुए भाकियू कार्यकर्ताओं की भीड़ फिर से धरना स्थल को लौट गई।
कार्यकर्ता के बेहोश होते ही धरना स्थल पर अफरा तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया
चीनी मिल गेट पर चल रहे धरने के दौरान उमस भरी गर्मी के कारण भाकियू कार्यकर्ता तुलाराम सैनी अचानक बेहोश होकर नीचे गिर पड़ा। जिस पर धरने में मौजूद कार्यकर्ताओं में अफरा तफरी मच गई, जो आनन फानन में बेहोश कार्यकर्ता को उठाकर स्थानीय चिकित्सक के पास ले गए। जहां उपचार के बाद होश में आते ही तुलाराम सैनी फिर से धरना स्थल पर आकर बैठ गया।
डीसीओ के आश्वासन पर भाकियू ने अपना बेमियादी धरना समाप्त किया
कई घंटों तक चले धरना प्रदर्शन के बाद डीसीओ सना आफरीन सिंभावली आ गईं, जो वहां से सीधे चीनी मिल गेट पर चल रहे भाकियू संघर्ष के धरने में पहुंचीं। राष्ट्रीय अध्यक्ष सरनजीत गुर्जर, राष्ट्रीय महासचिव कृष्णवीर गब्बर, युवा प्रदेश अध्यक्ष असीम खत्री, पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष नितेश पंडित, जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रधान के साथ हुई वार्ता में डीसीओ ने भरोसा देते हुए कहा कि किसानों के साथ किसी भी प्रकार की नाइंसाफी नहीं होने दी जाएगी। बैंकों से पहले किसानों को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान दिलाने को हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। साथ ही मिल कर्मियों के हित से भी कोई खिलवाड़ नहीं होने दी जाएगी। इस आश्वासन के बाद अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपकर भाकियू कार्यकर्ता धरना समाप्त कर नारेबाजी करते हुए अपने-अपने गांवों को वापस लौट गए।